व्यापार के नियम के आबंटन

I. सांख्यिकी स्कंध

  • देश में सांख्यिकीय प्रणाली के योजनाबध्द एकीकृत विकास हेतु नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करना ।
  • भारत सरकार के विभागों तथा राज्य सांख्यिकीय ब्यूरों के संदर्भ में आंकड़ा उपलब्धता में अंतरालों अथवा दोहरीकरण की पहचान करने की दृष्टि से सांख्यिकीय कार्य का समन्वय करना और आवश्यक उपचारात्मक उपाय सुझाना ।
  • सांख्यिकी के क्षेत्र में मानदंडों और मानकों का निर्धारण और अनुरक्षण करना जिसमें अवधारणाओं, परिभाषाओं, आंकड़ा संग्रहण के रीतिविधान, समंक विधायन एव परिणामों का प्रचार-प्रसार शामिल है ।
  • सांख्यिकीय रीतिविधान और आंकड़ों के सांख्यिकीय विश्लेषण पर भारत सरकार के विभागों को सलाह देना ।
  • राष्ट्रीय लेखा तैयार करना तथा राष्ट्रीय आय, सकलनिवल घरेलू उत्पाद, सरकारी तथा निजी अंतिम उपभोग व्यय, पूंजी निर्माण, बचत, पूंजी स्टॉक और उपभोग स्थायी पूंजी के वार्षिक अनुमानों का प्रकाशन, सकल घरेलू उत्पाद के तिमाही अनुमान तैयार करना, राष्ट्रीय लागत-उत्पादन संव्यवहार सारणी, घरेलू उत्पाद तथा अधि-क्षेत्रीय क्षेत्रों के स्थायी पूंजी निर्माण के राज्य स्तरीय अनुमान तैयार करना, प्रचलित मूल्यों पर राज्य घरेलू उत्पाद के तुलनीय अनुमान तैयार करना ।
  • त्वरित अनुमानों के रूप में प्रत्येक माह औद्योगिक उत्पादन सूचकांक का संकलन तथा जारी करना, वार्षिक उद्योग सर्वेक्षण आयोजित करना और संगठित विनिर्माण कारी (कारखाना) क्षेत्र की वृध्दि, संघटन तथा ढांचे में बदलावों का मूल्यांकन करने हेतु सांख्यिकीय सूचना उपलब्ध करना ।
  • पर्यावरण सांख्यिकी का विकास, रीतिविधान, अवधारणाओं का विकास करना तथा भारत के राष्ट्रीय संसाधान लेखाओं को तैयार करना ।
  • आवधिक अखिल भारत आर्थिक गणना तथा अनुवर्ती प्रतिदर्श सर्वेक्षणों का आयोजन
  • विकास, अनुसंधान, नीति निर्माण तथा आर्थिक योजना हेतु आवश्यक आंकड़ा आधार उपलब्ध कराने के लिए रोजगार, उपभोक्ता व्यय, आवास स्थिति, त्रऽण तथा निवेश, भूमि तथा पशुधन जोत, साक्षरता, शिक्षा, स्वास्थ्य परिवार कल्याण, असंगठित विनिर्माणकारी तथा सेवाओं आदि जैसे विभिन्न सामाजार्थिक पहलुओं पर राष्ट्रव्यापी प्रतिदर्श सर्वेक्षणों का आयोजन करना ।
  • तकनीकी संवीक्षा और प्रतिदर्श जांच के माध्यम से सांख्यिकीय सर्वेक्षणों की गुणवत्ता जांच तथा लेखा परीक्षण का आयोजन करना और यदि जरूरी हुआ तो सुधार संबंधी गुणक और वैकल्पिक अनुमान तैयार करना ।
  • राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण संगठन तथा केंद्रीय सांख्यिकीय संगठन द्वारा विभिन्न सामाजार्थिक सर्वेक्षणों और आर्थिक गणना के अनुवर्ती सर्वेक्षणों तथा वार्षिक उद्योग सर्वेक्षणों के माध्यम से एकत्रित सर्वेक्षण आंकड़ों का विधायन करना ।
  • सरकारी, अर्धसरकारी अथवा निजी आंकड़ा प्रयोक्ताओंअभिकरणों को कई नियमित अथवा तदर्थ प्रकाशन के जरिए सांख्यिकीय सूचना का प्रचार-प्रसार करना तथा अनुरोध पर संयुक्त राष्ट्र सांख्यिकी प्रभाग, एशिया तथा प्रशांत क्षेत्र हेतु आर्थिक एवं सामाजिक आयोग, अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन जैसे संयुक्त राष्ट्र अभिकरणों और अन्य संबंधित अंतर्राष्ट्रीय अभिकरणों को आंकड़े उपलब्ध कराना ।
  • विशेष अध्ययन अथवा सर्वेक्षण शुरू करने, सांख्यिकीय रिपोर्टों के मुद्रण हेतु प्रतिष्ठित पंजीकृत गैर-सरकारी संगठनों तथा अनुसंधान संस्थानों को सहायता अनुदान देना और सरकारी सांख्यिकी के विभिन्न विषय क्षेत्रों से संबंधित सेमिनारों, कार्यशालाओं अथवा सम्मेलनों का वित्त पोषण करना ।
  • प्रशिक्षण, कैरियर प्लानिंग तथा श्रम शक्ति आयोजना से संबंधित सभी मामलों सहित भारतीय सांख्यिकीय सेवा प्रबंधन के सभी पहलुओं को डील करना तथा संवर्ग नियंत्रण प्राधिकरण के रूप में कार्य करना ।
  • भारतीय सांख्यिकीय संस्थान अधिनियम, 1959 (1959 का 57) के प्रावधानों के अनुसार भारतीय सांख्यिकीय संस्थान का कार्यकरण सुनिश्चित करना ।
  • शहरी गैर-श्रमिक कर्मचारियों हेतु मासिक उपभोक्ता मूल्य सूचकांक का समेकन तथा जारी करना ।
  • लघु क्षेत्र के अनुमानों को शामिलकर बेहतर प्रतिचयन तकनीकों और आंकलन प्रक्रियाओं का विकास करने हेतु रीति विधानात्मक अध्ययन तथा प्रायोगिक सर्वेक्षण शुरू करना ।

II. कार्यक्रम कार्यान्वयन स्कंध

  • बीस सूत्री कार्यक्रम की निगरानी
  • 20 करोड़ रू. और इससे अधिक लागत की परियोजनाओं की निगरानी
  • आधारी संरचना क्षेत्रों के निष्पादन की निगरानी
  • सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास योजना (एमपीलैड्स)
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